Tuesday, 27 December 2022

ड्रग , सिनेमा , शराब और औरत की सनसनी

दयानंद पांडेय 


टीनएज में जब सिनेमा देखता था तो सिनेमा का जैसे नशा सा हो जाता था। तब नहीं मालूम था कि सिनेमा वालों को सफलता के अलावा भी कोई नशा होता है। ड्रग का तो नाम भी नहीं सुना था तब। तब तो सिनेमा देखना एक त्यौहार सा होता था। पर चुपके-चुपके। भीतर से तो डर भी लगता रहता था कि यह मेरा सिनेमा देखना घर में किसी को पता न चल जाए। तो एक अपराध बोध भी डसता रहता था निरंतर। क्यों कि घर में सिनेमा देखने का पता चलने पर पिटना तय होता था। जब बड़ा हुआ और सिनेमा समझने लगा , सिनेमा के लोगों को समझने लगा , उन से मिलने लगा तो उन की शराब और और शबाब की लत का भी पता चलने लगा। शराब और औरतों में तबाह अभिनेताओं और निर्देशकों के किस्से दर किस्से पहले ख़ास लोगों में ही आम थे। पर जल्दी ही आम लोगों में भी यह किस्से आम होने लगे। अभिनेत्रियों की शराब और मर्दखोरी के किस्से भी बाद के दिनों में सामान्य मान लिए गए। वैसे भी पहले हाजी मस्तान और फिर दाऊद इब्राहिम जैसे अंडर वर्ल्ड के लोगों के काले धन के दबाव में चलने वाली मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री किसी न किसी विवाद में सर्वदा ग्रसित रहने के लिए जैसे शापग्रस्त है। 

पहले फिल्म इंडस्ट्री से नामचीन लोगों की मोहब्बत और मोहब्बत टूटने के किस्से आते थे। यथा अशोक कुमार के प्रेम में कैसे देविका रानी पड़ीं। वही देविका रानी जिन्हों ने अशोक कुमार को ब्रेक दिया था। फिर निरुपा रॉय अशोक कुमार से जुड़ीं। या फिर अन्य स्त्रियां। इसी दम पर अशोक कुमार को लोग सदाबहार भी कहने लगे। मधुबाला भी पहले-पहल अशोक कुमार के फेर में पड़ीं। फिर वहां से टूटीं तो दिलीप कुमार के गले पड़ीं। बस ज़रा सी एक बात पर शादी तय हो कर भी टूट गई। अंतत: मधुबाला अशोक कुमार के  ही छोटे भाई किशोर कुमार की पत्नी बनीं। और मरते-मरते फिर दिलीप कुमार ही उन के काम आए। किशोर कुमार नहीं। उन के कैंसर में दर्द की एक दवा दिलीप कुमार भी मान लिए गए थे। मीना कुमारी जब बच्ची थीं तो बतौर बाल कलाकार किसी स्टूडियो में शूटिंग के बाद खेल रही थीं अपनी बड़ी बहन के साथ। तो खेलते-खेलते अशोक कुमार के पास आ गईं। अशोक कुमार ने उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया। लोगों से पूछा किस की बच्ची है। लोगों ने बताया तो वह बच्ची से बोले , जल्दी से बड़ी हो जाओ और मेरी हीरोइन बनो। संयोग देखिए कि मीना कुमारी बड़ी हो कर अशोक कुमार की कई फिल्मों की हीरोइन बनीं भी। पर कमाल अमरोही के प्यार भरे छल में आ कर उन से अनमेल विवाह भी वह कर बैठीं। तलाक भी हुआ और फिर हलाला भी। हलाला किया ज़ीनत अमान के पिता ने फिर वह कमाल अमरोही की दुबारा बेगम बनीं। पर हलाला के कारण वह टूट गईं और उन के शराब पीने की खबरें आने लगीं। वह शायरा भी बन गईं। 

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,

दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा


बुझ गई आस, छुप गया तारा,

थरथराता रहा धुआँ तन्हा


ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,

जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

जैसे शेर कहने लगीं। जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा लिए मीना कुमारी की ज़िंदगी में धर्मेंद्र आ गए। फिर जाने और कौन-कौन। आख़िर में गुलज़ार भी। अंतत: शराब ने कुल 39 बरस की उम्र में ही मीना कुमारी ऊर्फ महज़बीन की ज़िंदगी पर विराम लगा दिया। परदेसी इलाज भी काम न आया। पाकीज़ा के ख़ूबसूरत पांव ज़मीन से विदा हो गए। ऐसे और भी कई सारे किस्से सिने दुनिया के आते रहे। जैसे राज कपूर और नरगिस के। राज कपूर और पद्मिनी के। राज कपूर और वैजयंती माला के। राज कपूर और ज़ीनत अमान के। गो कि कृष्णा से भी राज कपूर ने प्रेम विवाह ही किया था। तब के सुपर स्टार अशोक कुमार भी गए थे विवाह में। खैर , नरगिस से संबंध टूटने और सुनील दत्त से उन के विवाह के बाद राज कपूर पी कर घर आते और बाथ टब में लेट जाते। रोते रहते। नरगिस से बिछोह के बाद राज कपूर की शराब इतनी ज़्यादा हो गई कि पिता पृथ्वीराज कपूर को बीच में आना पड़ा। पृथ्वीराज कपूर ने राज कपूर से कहा कि मेरे बूढ़े कंधे , जवान बेटे की लाश उठाने का दुःख उठाने को तैयार नहीं हैं। राज कपूर की शराब तो एकदम से नहीं छूटी पर कम ज़रूर हो गई। खैर , नरगिस ने सुनील दत्त से विवाह के कुछ समय बाद राज कपूर की पत्नी कृष्णा कपूर से मिल कर माफी भी मांग ली थी। उन्हों ने माफ़ भी कर दिया था। नरगिस का वैसे भी राज कपूर के साथ प्रेम के साथ ही पारिवारिक संबंध भी था। राज कपूर के छोटे भाई शम्मी कपूर , शशि कपूर , और बेटे रणधीर कपूर , ऋषि कपूर कौन ऐसा था जिस ने नरगिस की दी चॉकलेट नहीं खाई थी। और हर किसी ने समय-समय पर नरगिस के चॉकलेट की मिठास को बड़ी शिद्दत से याद किया है। बड़े सम्मान के साथ याद किया है। फिर आर के स्टूडियो के निर्माण में नरगिस का भी खून-पसीना लगा था। राज कपूर के साथ कंधे से कंधा मिला कर वह खड़ी रही थीं , आर के स्टूडियो के निर्माण में। राज कपूर बड़े फख्र से कहा करते थे कि सिर्फ परदे पर ही नहीं , रील लाइफ़ में ही नहीं , रियल लाइफ में भी नरगिस उन की हीरोइन थीं और कृष्णा उन के बच्चों की मां। नरगिस के मरने के बहुत समय बाद भी दादा साहब फाल्के सम्मान मिलने के मौक़े पर दूरदर्शन को दिए गए इंटरव्यू में यह बात राज कपूर ने बड़ी आत्मीयता और सम्मान के साथ कही थी। 

पर वैजयंती माला को कृष्णा कपूर कभी माफ़ नहीं कर पाईं। एक बार तो वह घर छोड़ कर एक होटल में शिफ्ट हो गईं। महीनों रहीं। कारण वैजयंती माला ही थीं। बाद के समय में तो हो यह गया था कि अपनी हर हीरोइन से राज कपूर प्यार करने लगे थे। हेमा मालिनी से लगायत ज़ीनत अमान तक यह सिलसिला कायम रहा। बल्कि ज़ीनत अमान तो राज कपूर और देवानंद के बीच अजब रश्क का सबब बनी रहीं। देवानंद भी कभी सुरैया से इश्क करते थे , विवाह भी करना चाहते थे दोनों। पर सुरैया की नानी बीच में आ गईं ,धर्म की बिना पर। गायिका और अभिनेत्री सुरैया फिर आजीवन अविवाहित रहीं , देवानंद के प्यार में। पाकिस्तान चली गईं। पर देवानंद ने विवाह कर लिया। प्रेम आगे भी करते रहे वह ,कई-कई स्त्रियां आईं उन के भी जीवन में। राज कपूर की तरह वह भी अपनी हीरोइनों को दिल देते रहे , लेते रहे। पर एक ज़ीनत अमान को ले कर वह टूट से गए। ज़ीनत अमान को देवानंद ने ही खोजा था। ब्रेक दिया था , हरे रामा , हरे कृष्णा में। और भी फिल्मों में जारी रखा। पर सत्यम , शिवम , सुंदरम के बाद वह राज कपूर की भी हो गईं। ज़ीनत अमान राज कपूर और देवानंद दोनों ही को अपने अलकजाल में बांधे रहीं। देवानंद को पता ही नहीं चला। पता चला एक फ़िल्मी पार्टी में। तब जब ज़ीनत अमान उस पार्टी में आईं। पार्टी में आईं तो देवानंद उन के स्वागत में अपनी दोनों बाहें फैला कर खड़े हो गए। ज़ीनत अमान छलकती हुई बढ़ी भी पर देवानंद की बाहों के लिए नहीं , पीछे खड़े राज कपूर की बाहों में समाने के लिए। और यह देखिए देवानंद को बाईपास कर ज़ीनत अमान राज कपूर की बाहों में समा गईं। अपनी आत्मकथा में देवानंद ने इस पूरी घटना का न सिर्फ़ विस्तार से ज़िक्र किया है बल्कि लिखा है कि ज़ीनत अमान के इस क़दम से वह टूट से गए थे। देवानंद हालां कि वहीदा रहमान से संबंधों के लिए बहुत जाने गए। वह वहीदा रहमान जिन के चक्कर में गुरुदत्त ने आत्महत्या कर ली थी। गुरुदत्त ने गीता घोष रॉय से प्रेम विवाह किया था। जो बाद में गीता दत्त कहलाईं। पर वहीदा रहमान भी कागज़ के फूल के बहाने उन की ज़िंदगी में दाखिल हो गईं। वह अशोक कुमार , राज कपूर , देवानंद या दिलीप कुमार आदि की तरह तमाम स्त्रियों के बीच सामंजस्य नहीं बिठा पाए और कम उम्र में ही ज़िंदगी से तौबा कर बैठे। नींद की बहुत सारी गोलियां खा कर सोए तो फिर उठे नहीं। 

गुरुदत्त की आत्महत्या बहुत बड़ी खबर बनी थी तब। पर उस के केंद्र में प्रेम था तब। सस्पेंस नहीं। शराब या ड्रग नहीं। गुरुदत्त और देवानंद बहुत गहरे दोस्त थे। जाने यह दोस्ती का तकाज़ा था कि कैरियर का या कुछ और वहीदा रहमान को विवाहित देवानंद का कंधा मिला। हालां कि देवानंद बाद के समय में राज कपूर की तरह अपनी तमाम हीरोइनों को अपनी ज़िंदगी में दाखिल करते रहे। ज़ीनत अमान से लगायत टीना मुनीम तक कई सारे नाम हैं। बाद के दिनों में तमाम अभिनेत्रियों ने तो अशोक कुमार , राज कपूर , देवानंद , दिलीप कुमार , राजेश खन्ना तक को पानी पिलाया इस मामले में। स्कोर के मामले में। 

टीना मुनीम समेत कई और अभिनेत्रियां देवानंद के जीवन में आईं और गईं पर कसक उन्हें सुरैया से विवाह न हो पाने और ज़ीनत अमान के उन के सामने ही राज कपूर की बाहों में समा जाने पर ही हुई। देवानंद के बड़े भाई और मशहूर निर्देशक चेतन आनंद भी अपनी हीरोइनों खातिर बदनाम रहे। पर एक समय प्रिया राजवंश के ही हो कर रह गए। चेतन आनंद के निधन के बाद  संपत्ति विवाद में चेतन के दोनों बेटे प्रिया राजवंश की हत्या कर बैठे और जेल भेज दिए गए। देवानंद के छोटे भाई निर्देशक और अभिनेता विजय आनंद ने हीरोइनों के साथ तो डुबकी मारी ही अपनी भांजी से विवाह भी कर बैठे। धर्मेंद्र के जीवन में भी कई हीरोइनें हैं। मीना कुमारी से लगायत अनीता राज तक। हीरोइनों के पसंदीदा हीरो। हीरोइनें निर्माता-निर्देशक से इसरार कर के धर्मेंद्र को हीरो रखवाती थीं। क्यों कि धर्मेंद्र उन की जिस्मानी ज़रूरतें पूरी करने में हुनरमंद थे। ऐसा कहा जाता है। मिथुन चक्रवर्ती कभी हेलेना ल्यूक से विवाह किया था। पर साल भर में तलाक हो गया। किशोर कुमार ने योगिता बाली को तलाक दे कर लेना चंद्रावरकर से विवाह किया तो मिथुन ने योगिता बाली से विवाह कर लिया। अभिनेत्री और मशहूर डांसर हेलेन तमाम बाहों से गुजरने के बाद अब सलमान के पिता सलीम खान के साथ रहती हैं। सलमान उन्हें मम्मी कहते हैं। ऐसे अनेक किस्से हैं।

पर राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के जीवन में स्त्रियां तमाम हैं। इतना कि हर एक के हिस्से में अशोक कुमार , दिलीप कुमार , राज कपूर , देवानंद यानी इन चारो के हिस्से में आई स्त्रियों से ज़्यादा एक-एक के हिस्से में। ज़ीनत अमान अमिताभ से भी जुड़ीं। ज़ीनत अमान संजय खान , राजेश खन्ना आदि कई और लोगों से भी जुड़ीं। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कैप्टन रहे और अब पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान से भी उन के संबंधों की खूब चर्चा रही। विवाह के बाद भी , बेटे के जवान होने के बाद भी पराए मर्दों से जुड़ने की लत उन की छूटी नहीं। इतनी कि इस मुद्दे पर ज़ीनत अमान के पति मज़हर खान और बेटे मिल कर जब-तब उन की पिटाई करने लगे। पति मज़हर खान की तो बाद में किडनी फेल होने के कारण मृत्यु हो गई। बेटे से भी पिटते-पिटते वह उस से अलग हो गईं। ज़ीनत अमान ने फिर दो और शादी की। उन का एक पति तो उन से 30 बरस छोटा था। नाम था अमन खन्ना। जो बाद में सरफराज बना। पर ज़ीनत ने बाद में इस के खिलाफ भी बलात्कार का मुकदमा लिखवा दिया। अब 70 बरस की उम्र में ज़ीनत अमान फिर सिंगिल हैं। ज़रीना वहाब और आदित्य पंचोली के किस्से भी लोग भूले नहीं हैं। न आदित्य पंचोली और कंगना रानावत के। न शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन और कंगना रानावत के। कंगना रानावत और ऋत्विक रोशन के किस्से तो अभी भी चर्चा में आ जाते हैं।  मीना कुमारी के साढ़ू और कॉमेडियन महमूद के अरुणा ईरानी समेत अनेक क़िस्से हैं। किसी हीरो से भी बहुत ज़्यादा। कभी महेश भट्ट के साथ मौज करने वाली परवीन बॉबी ने तो अमिताभ पर सार्वजनिक रूप से आरोप भी लगाए और टूट गईं। अकेली हो गईं। अपने फ़्लैट में अकेलापन काटते-काटते कब मर गईं , लोग जान ही न पाए। दूध वाले ने कुछ दिन बाद बताया कि कई दिन से दूध घर के अंदर नहीं गया। तब पता चला। दरवाज़ा तोड़ा गया और परवीन बॉबी की लाश मिली। 

रेखा , अमिताभ की माला आज भी जपती मिलती हैं। अमिताभ बच्चन के नाम का सिंदूर लगाती ही हैं। अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले अमर सिंह ने तो बाकायदा सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि अमिताभ बच्चन  , जया बच्चन के साथ नहीं रेखा के साथ रहते हैं। बाकायदा दिन बांट रखे हैं दोनों के बीच। अमर सिंह के इन आरोपों पर प्रतिवाद किसी ने नहीं किया। न अमिताभ बच्चन ने , न जया बच्चन ने , न ही रेखा ने। न किसी अन्य ने। न अमर सिंह के खिलाफ इस मुद्दे पर कोई कोर्ट गया। और भी कई नाम हैं अमिताभ के साथ जुड़े हुए। नई से नई लड़कियों तक के। राजेश खन्ना तो अनगिन औरतों और शराब के चक्कर में न सिर्फ अपना दांपत्य , परिवार बल्कि सामाजिक जीवन भी बर्बाद कर बैठे और चुपचाप मर गए। राजेश खन्ना एक पत्रकार देवयानी चौबल को सिर्फ इस लिए अपने हरम का सदस्य बना बैठे थे कि उन के मार्फत फिल्म इंडस्ट्री की खबरें मनमुताबिक छपवा सकें। देवयानी चौबल वैसे भी बहुत खूबसूरत थीं। पर राजेश खन्ना का अपनी पत्रकारिता में जम कर इस्तेमाल किया और बड़े-बड़ों पर रौब गांठा। 

ओम पुरी भी ऐसे ही एक पत्रकार नंदिता को दिल दे बैठे थे जो उन का इंटरव्यू लेने आई थी। और पत्नी सीमा को छोड़ कर उस से शादी कर ली। सीमा कपूर मशहूर अभिनेता , निर्देशक रंजीत कपूर की बहन हैं। बाद में इस पत्रकार पत्नी नंदिता कपूर से भी ओम पुरी का झगड़ा हो गया और वह अलग हो गए। लेकिन इस पत्रकार पत्नी ने बाद में ओम पुरी की विभिन्न सेक्स कथाओं की एक पूरी किताब ही लिख दी। 'अनलाइकली हीरो : द स्टोरी ऑफ ओमपुरी'। इस किताब में बचपन में कामवाली से लगायत आखिर तक की उम्र में छोटी-बड़ी उम्र की स्त्रियों की सारी सेक्स कथाएं रस ले कर परोसी गई थी। ओम पुरी के जीवित रहते ही यह किताब छप गई थी। ओम पुरी  ने इस किताब पर कोई प्रतिवाद नहीं किया। क्यों कि सारी कथाएं उन्हों ने ही पत्नी को कभी बता रखी थीं। हां , ऐतराज ज़रूर किया कि ऐसा उन्हें नहीं करना चाहिए था। मेरी ज़िंदगी के इन पन्नों को बिना मेरी सहमति के सार्वजनिक नहीं करना चाहिए था। आमिर खान की दूसरी पत्नी भी पत्रकार ही हैं। आमिर का इंटरव्यू लेते-लेते हमसफ़र बन गईं। तो भी यह लोग राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन का स्कोर बोर्ड दूर-दूर तक नहीं छू सके। अलग बात है कि इन राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन का भी रिकार्ड अकेले संजय दत्त ने तोड़ दिया। यानी राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन दोनों के योग से भी कहीं ज़्यादा का रिकार्ड संजय दत्त ने ऑफिशियली बनाया। आज से दस बरस पहले तक संजय दत्त का ऑफिशियल रिकार्ड तमाम छोटी-बड़ी हीरोइनों यथा रेखा , माधुरी दीक्षित आदि को मिला कर कोई तीन सौ से ज़्यादा औरतों को भोगने का था। अब कुछ और बढ़ा ही होगा। 

संजय दत्त ने सिर्फ औरतों को भोगने का ही नहीं ड्रग लेने का भी बेहिसाब रिकार्ड बनाया। यह संजय दत्त ही थे जिन के मार्फ़त पता चला कि फ़िल्मी दुनिया के लोग शराब और औरतों के अलावा ड्रग भी खूब लेते हैं। किसिम-किसिम के ड्रग। लेकिन संजय दत्त पीक पर चले गए। औरतों के साथ ही ड्रग लेने का तब कीर्तिमान बनाया था संजय दत्त ने। मां नरगिस कैंसर से जूझ रही थीं , मृत्यु शैया पर थीं और संजय दत्त को तब भी अगर कुछ सूझ रहा था तो औरतें , शराब और ड्रग। सब से ज़्यादा ड्रग। यहां-वहां इलाज करवा कर हार चुके पिता सुनील दत्त ने अमरीका के एक बड़े अस्पताल में ड्रग से छुट्टी दिलाने के लिए संजय दत्त को भर्ती करवाया था। पर संजय दत्त वहां की कड़ी सुरक्षा पार कर सब की आंख में धूल झोंक कर अस्पताल से कोई दो हज़ार किलोमीटर दूर अमरीका में अपने एक दोस्त के पास पैदल ही चल पड़े। ताकि दोस्त से पैसा ले कर ड्रग खरीद सकें। संजय दत्त आर्म्स ऐक्ट में भी गिरफ्तार हो कर लंबी जेल काट चुके हैं। संजय दत्त के जीवन पर बनी फिल्म संजू देख कर जब मैं सिनेमा घर से निकला तो यही सोचा कि बेहतर है भगवान नि:संतान रखें पर संजय दत्त जैसी संतान कभी किसी को न दें। बहुत दुर्भाग्यशाली पिताओं को देखा है पर सुनील दत्त जैसा अभागा पिता कोई एक दूसरा नहीं देखा। फिर भगवान ने सुनील दत्त को कितना तो धैर्य दिया था। यह संजू देख कर पता चला। एक तरफ कैंसर से मर रही पत्नी नरगिस की सेवा , दूसरी तरफ ड्रग , औरतों के शौक और आर्म्स एक्ट का मारा बेटा संजय दत्त को सुधारने और छुड़ाने की परवाह। अदभुत था। 

संजय दत्त के बाद फिर कई और बिगड़ैल शहजादों का नाम ड्रग लेने में जुड़ा। हीरोइनों का भी। पर संजय दत्त के बाद ड्रग के लिए मशहूर निर्माता , निर्देशक और अभिनेता फ़िरोज़ खान के बेटे फरदीन खान का नाम सामने आया। बहुत इलाज हुआ पर जाने वह आज भी ड्रग के चंगुल से निकले कि नहीं , ख़ुदा जाने। फिर छिटपुट कई और हीरो , हीरोइन के नाम ड्रग के लिए वैसे ही सामने आने लगे जैसे कभी कुछ बड़ी हीरोइनों के नाम आते थे जो दुबई जाती रहती थीं , शेखों को खुश करने के लिए। एक बहुत ही शानदार अभिनेता राज किरन का नाम जब ड्रग में आया तो मैं चौंक गया। पर जल्दी ही वह इलाज में लग गए। लेकिन ड्रग तो ड्रग। डसता है तो फिर कायदे से डसता है। बहुत लंबे समय से वह सिने दुनिया ही नहीं , घर से भी गायब हो गए। आज भी कुछ पता नहीं है। ड्रग ट्रैफकिंग में वह पकड़े गए। बहुत समय बाद अमरीका कि कहीं और की किसी जेल से उन की एक फोटो ऋषि कपूर को किसी ने उपलब्ध करवाई। उन्हों ने वह फ़ोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। फिर राज किरन का कुछ पता नहीं चला। न किसी ने उन की कोई खबर ली। जो भी हो ड्रग फ़िल्मी दुनिया का शौक ज़रूर था पर सनसनी नहीं था। पर ड्रग , सिनेमा और सनसनी का पहली सुर्खी तब बनी जब मशहूर हीरोइन ममता कुलकर्णी का नाम ड्रग के कारोबार में खुल कर सामने आया। और वह भारत देश छोड़ कर भाग चुकी थीं। पति समेत। बरसों बीते इस घटना को भी। 

फिर सिने जगत से शराब , इश्क , औरतबाज़ी और ड्रग की ख़बरें आम हो गईं। लिव इन रिलेशन शुरू हो गया। राजेश खन्ना , अंजू महेंद्रू से होते हुए बरास्ता शत्रुघन सिनहा , रीना राय तक यह खबरें ख़ास थीं। पर बाद में ऐसी ख़बरें आम हो गईं। ऐसे जैसे नाली में पानी बह रहा हो। एक-एक बांह में कई-कई। कलर्स चैनल पर हर साल बिग बॉस आता है। बिग बॉस में होने वाले आपसी झगड़ों में भी टी वी कलाकारों के ऐसे अनगिन रिश्ते तार-तार होते मिलते हैं। हर बार मिलते हैं। इस साल भी मिल रहे हैं। कब किस के साथ कौन रह गया , कौन बह गया , जैसे सामान्य बात हो गई है। अनुराग कश्यप का मामला तो अभी एक हीरोइन ने सामने रखा ही था। पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई थी..पर क्या हुआ। कास्टिंग काऊच भी कोई चीज़ होती ही है। राजेश खन्ना तो अंतिम समय में भी एक सिंधी महिला के साथ लिव इन में रह रहे थे। लिव इन में ही मृत्यु को प्राप्त हुए। इसी फेर में संपत्ति विवाद भी सामने आया। विनोद खन्ना , अमृता सिंह के साथ रहने लगे थे। शादी के लिए अप्लाई भी किया था कोर्ट में। पर अचानक बात टूट गई। और अमृता सिंह ने सैफ अली खान से विवाह कर लिया। फिर अमृता को छोड़ सैफ करीना कपूर से विवाह रचा लिए। तैमूर उन का बेटा है। एक और की खबर है। सारा अली खान अमृता सिंह , सैफ अली खान की ही बेटी हैं जो इन दिनों अक्षय कुमार के साथ रोमैंटिक जोड़ी बना कर चर्चा में हैं। अभी ड्रग कनेक्शन में भी उन से जांच-पड़ताल चली थी। राजेश खन्ना डिंपल से अलग हो कर इस डाल से उस डाल होते हुए टीना मुनीम के साथ लिव इन में लंबे समय तक रहे थे। पर अचानक टीना मुनीम की उद्योगपति अनिल अंबानी से विवाह की खबर आ गई। दिलचस्प यह कि नाना पाटेकर एक फिल्म खामोशी द म्यूजिकल में काम कर रहे थे। मनीषा कोइराला , सलमान खान के अपोजिट हीरोइन थीं। नाना पाटेकर की बेटी की भूमिका में थीं मनीषा कोइराला। पर पिता बने नाना पाटेकर से नैन भी लड़ा रही थीं। शूटिंग सेट पर जब-तब नाना पाटेकर से मिलने आयशा जुल्का आ जाती थीं। पर मनीषा कोइराला नाना पाटेकर को ले कर इतनी पजेसिव थीं कि आयशा जुल्का को देखते ही भड़क जाती थीं। लेकिन  दिलचस्प यह कि जब फिल्म की शूटिंग खत्म हुई तो नाना पाटेकर आयशा जुल्का के साथ लिव इन में रहने लगे। 

सलमान खान के वैसे तो संगीता बिजलानी समेत तमाम किस्से हैं। वही संगीता बिजलानी जो बाद में क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन की दूसरी बेगम बनीं। पर बाद में मोहम्मद अजहरुद्दीन ने नौरीन की तरह संगीता को भी तलाक दे दिया। पर ऐश्वर्या राय और कैटरीना कैफ के साथ तो सलमान खान जाने कितनी सरहदें लांघ गए थे। सरहद ही नहीं लिव इन को भी मात दे दिया। ऐश्वर्या को ले कर शाहरुख खान की पिटाई तक कर दी थी सलमान ने। विवेक ओबेराय को भी धर दबोचा था। ऐसी ही हिंसा कभी हेमा मालिनी को ले कर धर्मेंद्र किया करते थे। एक बार तो धर्मेंद्र ने एक स्क्रीन के एक पत्रकार को भी सरे आम पीट दिया था। पत्रकार की ग़लती यह थी कि उस ने हेमा और धर्मेंद्र के संबंधों पर कुछ लिख दिया था। रेखा ने तो किस-किस से विवाह नहीं किया। किरन  कुमार , विनोद मेहरा , संजय दत्त , मिस्टर अग्रवाल , अमिताभ बच्चन आदि कई लोगों के नाम चर्चा के सागर में डूब चुके हैं। हेमा मालिनी का भी यही हाल है। संजीव कुमार , जितेंद्र , गिरीश कर्नाड आदि-इत्यादि से होती-हवाती आखिर धर्मेंद्र के ही हिस्से आईं। पर जितेंद्र के साथ विवाह के लिए मंडप में भी बैठ चुकी थीं हेमा। वह एक लंबी कहानी है। महेश भट्ट के पिता विजय भट्ट नामी निर्देशक थे अपने समय में। एक से एक कामयाब फ़िल्में बनाई हैं। पर महेश भट्ट की मां के साथ विवाह नहीं कर पाए और तीन बेटे पैदा कर लिए। महेश भट्ट की मां मुस्लिम थीं। सो विरोध बहुत हुआ। यह एक दूसरी कहानी है। इसी बिना पर महेश भट्ट खुल कर कहते हैं , मैं हरामी हूं। दिलचस्प यह कि शराब और औरतों के मारे हुए परवीन बॉबी के साथी रहे महेश भट्ट अपनी पहली पत्नी से हुई बेटी पूजा भट्ट की सिगरेट पर बहुत नाराज रहते थे। पूजा भट्ट तब के दिनों चेन स्मोकर हो गई थीं। पिता की तरह वह भी कई पुरुषों के फेर में पड़ीं। विवाह हुआ किसी तरह। दिलचस्प यह कि अभी बीते हफ्ते ही पूजा भट्ट ने अपने शराब छोड़ने की चौथी सालगिरह मनाई है। अपने शराब और मर्दों की बाहें बदलने की शौक़ीन श्रीदेवी तो कभी अमिताभ बच्चन से भी विवाह करना चाहती थीं। कम लोग जानते हैं कि रेखा से एक समय अमिताभ को दूर करने में श्रीदेवी का बहुत बड़ा हाथ था। हुआ यह कि रेखा ने ही अमिताभ से मिलने के लिए श्रीदेवी का फ़्लैट चुना था। श्रीदेवी के फ़्लैट पर रेखा , अमिताभ के साथ समय गुज़ारती थीं। किसी को शक भी नहीं होता था। बाद के समय में बिना रेखा को बताए श्रीदेवी अमिताभ को बुलाने लगीं। अमिताभ श्रीदेवी के साथ समय गुज़ारने लगे। एक समय श्रीदेवी , मिथुन चक्रवर्ती के साथ बस रहती नहीं थी , पर लिव इन ही था। बाद में बोनी कपूर के बंगले के एक हिस्से में श्रीदेवी रहने लगीं। मिथुन का शक दूर करने के लिए बोनी कपूर को राखी बांधती थीं। पर यह देखिए कि श्रीदेवी ने राखी भूल कर बोनी कपूर से विवाह किया और उन की दो बेटियों की मां बनीं। दुबई के एक होटल में बाथ टब में डूब कर मर गईं। जाने शराब ज़्यादा पी ली कि ड्रग ज़्यादा ले लिया। आज तक पता नहीं चला। बोनी कपूर ने सब कुछ मैनेज कर लिया। 

तो शराब , औरत और ड्रग का बहुत पुराना रिश्ता है हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री का। कह सकते हैं कि चोली दामन का रिश्ता है। पर इस कोरोना काल में , बीच लॉक डाऊन में सुशांत सिंह राजपूत की  हत्या ऊर्फ आत्महत्या की घटना ने जैसे फिल्म इंडस्ट्री को नंगा कर दिया। हिला कर रख दिया। हर साल गर्लफ्रेंड बदलने वाला , गर्लफ्रेंड को चार्टर्ड प्लेन से विदेश घुमाने वाला सुशांत सिंह राजपूत ड्रग लेता था कि नहीं , यह सवाल अब बहुत बेमानी है। सुशांत सिंह राजपूत पूरा का पूरा अय्याश था , यह तो अब पूरी तरह सिद्ध है। बहरहाल शुरू में तो लोगों ने मुंबई पुलिस के कहे मुताबिक़ आत्महत्या ही माना ,पर जब सुशांत के पिता ने हत्या का आरोप लगाते हुए सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को हत्यारा कहा तो जैसे तूफ़ान आ गया। रिया पहले तो मासूम बनी रही पर जल्दी ही हमलावर बन गई। सुशांत के पिता और बहनों पर आक्रामक हो गई। क्या-क्या आरोप नहीं लगाए। बिहार पुलिस के तत्कालीन डी जी पी गुप्तेश्वर पांडेय अचानक रॉबिन हुड बन कर इस मामले में कूद पड़े। महाराष्ट्र पुलिस और बिहार पुलिस में ऐसी रस्साकसी चली कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और जांच सी बी आई को चली गई। जैसे केंद्र सरकार , बिहार सरकार वर्सेज महाराष्ट्र सरकार का मामला बन गया। अभी सी बी आई जांच शुरू भी नहीं हुई थी कि इंफोरस्मेंट की जांच में सुई ड्रग रैकेट की तरफ घूम गई। रिया चक्रवर्ती ने जांच के फंदे में खुद को घिरते देख आज तक न्यूज़ चैनल पर एक प्रायोजित इंटरव्यू में सुशांत सिंह राजपूत पर ही ड्रग लेने का आरोप लगा दिया। अंतत: रिया और उस के भाई को नारकोटिक्स ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया। आहिस्ता-आहिस्ता पूरी फिल्म इंडस्ट्री शक के घेरे में आ गई। एक से एक बड़े-बड़े नाम चर्चा के केंद्र में आ गए। कंगना रानावत पहले ही अपने को ड्रग एडिक्ट बता चुकी थीं। अब सुशांत सिंह राजपूत मामले में भी कूद पड़ीं। बात यहां तक बढ़ी कि कंगना की उद्धव सरकार से ठन गई। उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे तक का नाम घसीट लिया गया। छोटा पेंग्विन कह कर आदित्य ठाकरे पर आरोपों की बौछार लग गई। 

बात यहां तक पहुंची कि कंगना का पाली हिल वाला घर मुंबई नगर निगम ने तोड़-फोड़ दिया। सामना अखबार में बैनर हेडिंग लगा कर खबर छापी कि उखाड़ दिया। इस के पहले एक वीडियो जारी कर कंगना ने उद्धव ठाकरे को चुनौती दी थी कि आ रही हूं मुंबई , जो उखाड़ना हो उखाड़ लो। कंगना को वाई श्रेणी की सुरक्षा भी केंद्र सरकार ने दे दी। कंगना ने सुशांत सिंह राजपूत की हत्या में आदित्य ठाकरे पर सीधा निशाना साधा। बताया कि सुशांत सिंह राजपूत की पुरानी मैनेजर दिशा सालियान की भी हत्या हुई थी , उस में भी आदित्य ठाकरे का हाथ था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य मंत्री नारायण राणे और उन के बेटे ने भी दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की हत्या में आदित्य ठाकरे का नाम सीधे तौर पर लिया। पर सी बी आई जांच में अभी तक कुछ भी साबित हो कर स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है। अटकलों का खेल भी अभी बंद है। पर तब के दिनों नारकोटिक्स ब्यूरो की जांच में जैसे पूरी मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग की आग ऐसे लगी थी गोया जंगल में आग लगी हो। बीच कोरोना काल और लॉक डाऊन के सन्नाटे में दो ही मामले तब खबरों का सन्नाटा तोड़ रहे थे। एक प्रवासी मज़दूरों का विस्थापन दूसरे , मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग का सेवन। पहले नंबर पर यह ड्रग ही था। एक से एक बड़े-बड़े नाम। सलमान खान से लगायत शाहरुख खान तक के नाम चर्चा में आए। सुशांत सिंह का फ़ार्म हाऊस भी खूब चर्चा में आया ड्रग पार्टी के लिए। बात संसद तक पहुंची। गोरखपुर के सांसद और भोजपुरी फ़िल्मों के हीरो रवि किशन ने फ़िल्म इंडस्ट्री में ड्रग मामले को बड़े ज़ोर-शोर से उठाया लोक सभा में । मामला इतना गरमा गया कि राज्य सभा में मशहूर हीरोइन और सपा सांसद जया बच्चन ने रवि किशन का नाम लिए बिना उन पर कड़ा प्रहार करते हुए वह उद्धव ठाकरे सरकार के बचाव की पैरवी में उतर गईं। अंगरेजी में दिए गए भाषण में जया बच्चन ने कहा कि कुछ लोग हैं जो जिस थाली में खाते हैं , उसी थाली में छेद करते हैं। रवि किशन फिर पूरा राशन-पानी ले कर जया बच्चन पर चढ़ाई कर बैठे। तब जब कि रवि किशन खुद तमाम किसिम के नशे के आरोपों में घिरे रहे हैं। फिर क्या था जया बच्चन अब सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल हो गईं। जो-जो नहीं कहा जाना चाहिए था , सब कहा गया। जया बच्चन की निजी ज़िंदगी के पन्ने खोले जाने लगे। डैनी से उन की पुरानी दोस्ती और संबंधों तक को खंगाल लिया गया। कहा गया कि धन्यवाद डैनी जया की थाली में छेद करने के लिए। जया के बहाने अमिताभ बच्चन भी निशाने पर आ गए। उन की थाली के अनगिन छेद खोज डाले गए। उन की महानायक की छवि जैसे खंडित होने लगी। फोन पर अमिताभ की कोरोना वाली कॉलर ट्यून तक का विरोध। जया की बेटी श्वेता की निजी ज़िंदगी के पन्ने भी खुले। बात ऐश्वर्या की निजी ज़िंदगी तक आ गई। ऐश्वर्या की थाली में छेद करने के तौर पर सलमान खान और विवेक ओबेराय तक की याद की गई। जया बच्चन की नातिन का शाहरुख खान के बेटे आर्यन के साथ एक कार में सेक्सुअल वीडियो भी वायरल हुआ यह कहते हुए कि थाली में ऐसे भी छेद होता है। कुल मिला कर यह कि जया बच्चन का राज्य सभा में थाली में छेद करने वाला भाषण उन पर बहुत बुरी तरह भारी पड़ा। इस सब पर न जया बच्चन की मदद के लिए कोई सामने आया और न ही वह खुद इस सब पर कोई प्रतिवाद कर पाईं आज तक। भरपूर छीछालेदर हुई सो अलग।    

बहरहाल सलमान , शाहरुख खान तो तमाम चर्चा के बावजूद अभी तक नारकोटिक्स शिकंजे में नहीं आए पर एक बड़ी हीरोइन दीपिका पादुकोण ज़रूर ड्रग लेने के जाल में फंस गईं। जेल तो नहीं गईं अभी तक दीपिका पर पूछताछ के फंदे में ज़रूर वह आ गईं। गोवा तक उन का पीछा हुआ। दीपिका पादुकोण का जैसे सार्वजनिक जीवन नष्ट हो गया। करन जौहर के घर एक ड्रग पार्टी का वीडियो जिस में दीपिका पादुकोण भी किसी की गोद में बैठी हुई हैं , वायरल हो गया। कारण जौहर भी शक के घेरे में हैं। खैर तब दीपिका के तमाम विज्ञापन बंद हो गए। सारी कंपनियों ने एक साथ दीपिका वाले विज्ञापन बंद कर दिए। इतना नुकसान और अपमान तो जे एन यू जाने पर भी दीपिका का नहीं हुआ था। लगा कि जैसे दीपिका पादुकोण के कैरियर पर ग्रहण लग गया हो। पर इन दिनों हफ्ते भर से जियो के विज्ञापन में अपने पति रणवीर सिंह के साथ वह फिर से दिखने लगी हैं। दीपिका के साथ पूछताछ में उन की मैनेजर और एक पी आर कंपनी भी घेरे में आई। ड्रग के बाबत पूछताछ के फंदे में नवाब पटौदी और शर्मीला टैगोर की नातिन , सैफ अली खान , अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान भी आईं। लेकिन अब वह भी अक्षय कुमार सिंह के साथ एक फिल्म में अपनी रोमैंटिक जोड़ी के रूप में पर्याप्त चर्चा में हैं। ड्रग लेने की आंच कॉमेडियन भारती और उन के पति पर भी आई। जेल की हवा खा कर ज़मानत ले कर दोनों बाहर आ चुके हैं। जैसे और तमाम लोग। अलग बात है कि अभिनेता अर्जुन रामपाल इन दिनों फिर ड्रग की जांच का सामना कर रहे हैं। 

पर जैसा कि कहा जाता रहा था कि मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी-बड़ी मछलियां ड्रग के फंदे में फंसेंगी और कि जेल की सलाखों के पीछे होंगी। ऐसा तो अभी तक नहीं हुआ। अब लगता है कि जैसे यह सब सिर्फ एक शगूफा था। एक बुरा सपना था। यह सपना अब टूट इस लिए गया है कि मुंबई फिल्म इंड

स्ट्री के लोग जाग गए हैं। जाग कर सब कुछ मैनेज कर ले गए हैं। जैसे आदित्य ठाकरे के पिता उद्धव ठाकरे ने शरद पवार के मार्फत आदित्य ठाकरे को हत्या और ड्रग की बदनामी के दाग को मैनेज कर धो दिया है। मुंबई के सागर में अब सब कुछ सामान्य दीखता है। बदनामी की लहरें जैसे किनारों की चट्टानों से टकरा कर कहीं कोई और पटकथा लिख रही हैं। ड्रग की एक सुनामी थी जो आ कर चली गई लगती है। एक बुरा सपना था ड्रग का जिसे किसी डाक्टर ने चुपचाप दवा दे कर दबा दिया है।  

कमलेश्वर याद आते हैं। कमलेश्वर ने फिल्म इंडस्ट्री में कई निर्माता-निर्देशकों के लिए फिल्म लिखने का काम किया है। कभी कथा , कभी पटकथा। एक फ़िल्मी पार्टी में वह देवानंद के साथ थे। उन के हाथ में स्कॉच से भरा गिलास था। अचानक देवानंद ने उन से चलने के लिए कहा। कमलेश्वर ने उन से कहा , ऐसे कैसे चला चलूं। हाथ में स्कॉच है। इसे कैसे फेंक दूं। ऐसे कैसे छोड़ दूं। देवानंद ने कहा , कुछ नहीं इसे ऐसे ही कहीं रख दीजिए। यह पियक्कड़ों की पार्टी है। कोई न कोई पी लेगा।  बेकार नहीं जाएगी यह स्कॉच। कमलेश्वर ने स्कॉच का भरा गिलास वहीँ कहीं रख दिया। और देवानंद के साथ चल दिए। मुड़ कर देखा तो पाया कि सचमुच कोई उन के स्कॉच का गिलास उठा कर होठों से लगा चुका था। वह एम जी हशमत का लिखा एक गाना है न :

हे, ये बम्बई शहर हादसों का शहर है

यहाँ ज़िन्दगी हादसों का सफ़र है

यहाँ रोज़-रोज़ हर मोड़-मोड़ पे

होता है कोई न कोई

हादसा, हादसा...


यहाँ की ख़ुशी और गम हैं अनोखे

बड़े खूबसूरत से होते हैं धोखे

बहुत तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी की

है फुर्सत किसे कोई कितना भी सोचे

ख़ुशी हादसा है, गम हादसा है

हकीकत भुला कर हर इक भागता है

यहाँ रोज़-रोज़ की भाग-दौड़ में

होता है कोई न कोई

हादसा, हादसा...


यहाँ आदमी आसमां चूमते हैं

नशे में तरक्की के सब झूमते हैं

हरी रौशनी देख भागी वो कारें

अचानक रुकी फिर से बन के कतारें


यहाँ के परिंदों की परवाज़ देखो

हसीनों के चलने का अंदाज़ देखो

यहाँ हुस्न इश्क की आब-ओ-हवा में

होता है कोई न कोई

हादसा, हादसा...

तो घबराइए नहीं। जल्दी ही फिर कोई नया हादसा हमारे सामने हो सकता है। ड्रग का नहीं न सही , कोई और सही। कोई न कोई पटकथा लिख ही रहा होगा। कोई न कोई डायरेक्टर लाइट , कैमरा , ऐक्शन ! बोलेगा ही। ड्रग नहीं , शराब नहीं , औरत नहीं , और सही। सिने दुनिया है। आखिर कोई न कोई शुरुर तो चाहिए ही। गुलशन कुमार का हत्यारा नदीम जैसे क़ानून के हाथ नहीं लगा। जैसे हीरोइन दिव्या भारती की हत्या की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी। जैसे निर्देशक मनमोहन देसाई की मृत्यु हत्या थी कि आत्महत्या कोई नहीं जान पाया। जैसे सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु हत्या थी कि आत्महत्या। ड्रग लेता था कि नहीं। जैसी गुत्थियां अभी तक नहीं सुलझीं। तो आप क्या समझते हैं कि मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग की गुत्थी सुलझ जाएगी। तौबा-तौबा ! ऐसा कुफ्र तो मत ही कीजिए।

Saturday, 17 December 2022

मन्नू भंडारी ने लिखा कि राजेंद्र यादव किसी के साथ छ्लात्कार तो कर सकते हैं , बलात्कार नहीं

दयानंद पांडेय

एक बार किसी ने राजेंद्र यादव द्वारा बलात्कार की चर्चा की तो मन्नू भंडारी ने लिखा कि राजेंद्र यादव किसी के साथ छ्लात्कार तो कर सकते हैं , बलात्कार नहीं । और बात खत्म हो गई थी । सच यह है कि राजेंद्र यादव छ्लात्कार में बहुत निपुण थे । तमाम स्त्रियों के साथ उन्हों ने छल किया । अपनी व्याहता मन्नू भंडारी के साथ बेशुमार छल । असल में मोहन राकेश के नेतृत्व वाली यह तिकड़ी अपने स्त्री प्रसंगों के लिए बहुत ज्यादा जानी गई । मोहन राकेश , कमलेश्वर , राजेंद्र यादव । मोहन राकेश ने तो चार विवाह किए । मोहन राकेश की चौथी पत्नी अनीता औलक जो मोहन राकेश से विवाह के बाद अनीता राकेश हो गई थीं , ने मोहन राकेश पर संस्मरण के बहाने अपनी कथा कहिए , आत्मकथा कहिए लिखी है , चंद सतरें और । चंद सतरें और में अनीता राकेश ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि उन की मां भी मोहन राकेश पर आसक्त थीं । और कि उन से सौतिया डाह रखते हुए उन्हें बहुत मारती-पीटती थीं । उन्हों ने लिखा है कि उन की मां से मिलने और भी लेखक आते थे । पहले जैनेंद्र कुमार आते थे । फिर अज्ञेय भी आए । मोहन राकेश भी । 

अनीता की मां चंद्रा औलक भी लेखिका थीं । मोहन राकेश से अनीता औलक भी प्रेम में पड़ गईं । मोहन राकेश ने भी उन्हें निराश नहीं किया । अनीता की मां द्वारा आए दिन की पिटाई कहिए या मोहन राकेश से उन के प्यार की प्रगाढ़ता अनीता अंततः घर छोड़ कर मोहन राकेश के साथ मुम्बई भाग गईं । दिल्ली से भगाने में कमलेश्वर ने मदद की । एयरपोर्ट तक पहुंचाया। मुम्बई में राजेंद्र सिंह बेदी ने होटल वगैरह की व्यवस्था की । लंबी कथा है । अनीता उस समय बी ए में पढ़ती थीं । इस का लंबा विवरण बहुत ही रोमांचक ढंग से अनीता जी ने चंद सतरें और में लिखा है । बाद के दिनों में कमलेश्वर ने भी इस बाबत अपने संस्मरण में लिखा । कमलेश्वर का यह संस्मरण एक समय संडे मेल में धारावाहिक रूप से छपा था । 

एक बार क्या हुआ कि लखनऊ से एक पत्रकार दिल्ली गए । यू पी भवन में ठहरे । शराब पी कर उन्हों ने कमलेश्वर को फोन किया कि और पूरा मजा लेते हुए बोले कि सुना है आप लड़की भगाने में बड़े एक्सपर्ट हैं । तो हमारे लिए भी एक लड़की भगा दीजिए । कमलेश्वर ने भी मजा लिया और पूछा कि अपना अता-पता दीजिए , आता हूं । अब पत्रकार को फिर शरारत सूझी । यू पी भवन में उस समय पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक माफ़िया हरिशंकर तिवारी भी ठहरे हुए थे । बतौर विधायक । पत्रकार ने तिवारी के कमरे का नंबर बता दिया । कमलेश्वर आए भी यू पी भवन । पुलिस ले कर आए । उस आदमी को सबक सिखाने । तिवारी से मिले भी । तिवारी को वाकया बताया । तिवारी ने विनम्रता से बताया कि क्या इस उम्र में मुझे यही काम रह गया है ? कुछ और आरोप लगाते आप तो एक बार सुनता भी । आप के साथ किसी ने मजाक कर दिया है । कमलेश्वर चुप रह गए और चले गए  ।

इस पूरी कथा की बड़ी परिणति यह थी कि तीन विवाह भले असफल रहे मोहन राकेश के पर अनीता से उन का यह विवाह सफल रहा था । अलग बात है कि दो बच्चे पैदा कर मोहन राकेश दुनिया से विदा हो गए । कुछ समय बाद अनीता राकेश ने भी दूसरा विवाह कर लिया । मोहन राकेश जितने शानदार लेखक हैं , उन की जिंदगी के पन्ने भी उतने अंतर्विरोधी । अंधेरे बंद कमरे , आधे अधूरे , अंतराल और आषाढ़ का एक दिन में उन का जीवन और उस का संत्रास भी खूब दीखता है । बाक़ी रचनाओं में भी । मन्नू भंडारी लिखित आप का बंटी जिस भी किसी ने पढ़ा है , उसे जान लेना चाहिए कि वह बंटी मोहन राकेश की ही जिंदगी पर आधारित है ।

मोहन राकेश मंडली के कमलेश्वर की ज़िन्दगी के पन्ने भी औरतबाजी से रंगे पड़े हैं और राजेंद्र यादव के भी । तय कर पाना मुश्किल है कि कमलेश्वर बड़े औरतबाज कि राजेंद्र यादव । दोनों ही ने अपनी औरतबाजी को छुपाया नहीं है । कमलेश्वर ने दो, तीन मामले छुपाए ज़रूर जिन्हें मन्नू भंडारी ने लिख कर बेपर्दा कर दिया। बताया कि उन औरतों से कमलेश्वर के बच्चे भी हैं ।


साहित्य जगत की कोई और चटपटी कथा सुनाइए कहने वाली मणिका मोहिनी अस्सी चूहे खा कर अब हज यात्रा पर चलीं

दयानंद पांडेय 


एक हैं मणिका मोहिनी। राजेंद्र यादव पर पोस्ट के विमर्श में अब यह भी कूद गई हैं। मतिमंद विमल कुमार के मल में सन कर मेरे खिलाफ तोप तान दिया है। गुड है ! कभी मोहती रही होंगी लोगों को पर अब मोह नहीं पातीं। सो अन्य मोहिनियों की चर्चा पर भी नाक-मुंह सिकोड़ती रहती हैं। मणिका ने क्या लिखा है , क्या नहीं मैं नहीं जानता। इन का लिखा कभी कुछ पढ़ने का अवसर नहीं मिला। वैसे भी यह अपनी पोस्टों में अपने लेखन के बारे में नहीं , अपनी दुकान के बारे में बताती रहती हैं। एक बार मैं ने हिमांशु जोशी की तारीफ़ में एक पोस्ट लिखी तो इन का फ़ोन आ गया। इधर-उधर की बात कर कहने लगीं कि हिमांशु जोशी ठीक आदमी नहीं हैं। फिर तफ़सील में आते हुए बताने लगीं कि वह हमारे घर आते रहते थे। मेरे साथ नाजायज हरकत करते रहते थे। जब-तब मुझे पकड़ लेते थे। जब यह बात कई बार बताई मणिका मोहिनी ने तो उन से पूछ लिया , आप उन्हें अपने घर बुलाती ही क्यों थीं ? उन की नाजायज हरकत बर्दाश्त भी क्यों करती थीं। तभी खुल कर विरोध क्यों नहीं किया ? सुन कर वह चुप हो गईं। फिर उन की बातों में पता चला कि साप्ताहिक हिंदुस्तान में छपने की ललक और मोह ने चुप कर रखा था। 

वह बहुत चाहती थीं कि बिना उन का नाम लिए हिमांशु जोशी की लंपटई पर मैं कुछ लिखूं। मैं ने इंकार कर दिया। बता दिया कि हिमांशु जोशी मेरे प्रिय कथाकार हैं और निजी तौर पर वह मुझे बहुत स्नेह करते हैं। मैं उन का बहुत आदर करता हूं। बात खत्म लेकिन नहीं हुई। वह घुमा-फिरा कर हिमांशु जोशी के बाबत बात करती रहती थीं। एक बार नीलाभ और भूमिका के तात्कालिक विवाद पर मैं ने एक पोस्ट लिखी तो फिर उन के फ़ोन आने लगे। रस लेने लगीं। नीलाभ को ले कर भी वह असहज थीं। चाहती थीं कि नीलाभ पर और लिखूं। मैं ने उन्हें बताया कि नीलाभ मेरे आत्मीय मित्र हैं। उन का चरित्र हनन मेरा मकसद नहीं। उन्हें आगाह करना था। लिख कर कर दिया। अब और नहीं। उसी बीच भूमिका द्विवेदी ने भी कई बार कहा कि आप ने सिर्फ़ अपने मित्र नीलाभ की तरफ से लिखा। मेरी तरफ से भी लिखिए। भूमिका द्विवेदी से भी मैं ने हाथ जोड़ लिया कि अब बस ! आप खुद लिखिए। भूमिका मान गईं। सुखद यह कि नीलाभ और भूमिका फिर एक हो गए। 

लेकिन यह मणिका मोहिनी नीलाभ के निधन पर भी चटखारा लेना नहीं भूलीं। लेकिन मैं ने खामोशी से किनारा कर लिया। एक समय गगन गिल को ले कर भी वह रस लेने लगीं। मैं ने तब भी संयम से काम लिया। मोहन राकेश और अनीता औलक को ले कर भी वह मुखर रहीं। ऐसी और भी बहुत सी बातें हैं। इस बीच कब वह अनफ्रेंड कर चंपत हो गईं। पता नहीं। खैर आज उन्हों ने राजेंद्र यादव प्रसंग पर अपनी मोहिनी मुस्कान बिखेरी है। इतना ही नहीं , वह निजी हमले पर उतर गई हैं। मेरी बेटी के विवाह तक पर आ गई हैं। मणिका मोहिनी , आप को जानना चाहिए कि मेरी बेटी का विवाह केरल में एक सुयोग्य डाक्टर से हुआ है और अरेंज्ड मैरिज है। मेट्रीमोनियल साइट के मार्फ़त।  प्रेम विवाह नहीं। दामाद एम्स , दिल्ली के गोल्ड मेडलिस्ट हैं। 

प्रेम विवाह में कोई बुराई नहीं है। प्रेम विवाह का समर्थक हूं मैं। जिस एक और लड़की के प्रेम विवाह की चर्चा करते हुए आप ने लिखा है कि गैर जाति में विवाह करने पर अपमानजनक पोस्ट लिखता हूं। तो यह लिखने के पहले अगर दर्पण में आप ने अपनी छवि नहीं देखी थी तो अब से देख लीजिए। वह लड़की थी राजेश कुमार मिश्रा उर्फ "पप्पू भरतौल", विधायक बिथरी चैनपुर , बरेली की बेटी  साक्षी मिश्रा। यह जुलाई , 2019 की घटना थी। इस प्रसंग पर लिखा था मैं ने। खुल कर लिखा था। लिखा था कि साक्षी ने जिस दलित युवक से विवाह किया था , वह युवक साक्षी का मुंहबोला  भाई बन कर उस के घर में रहता था। जिसे साक्षी का पिता पढ़ा रहा था। क्यों कि वह उस के एक कर्मचारी का बेटा था। साक्षी और उस युवक ने भाई-बहन के संबंधों पर कालिख पोती थी। विश्वासघात किया था। मुहल्ले में क्षत्रिय बन कर रह रहा था। इस विश्वासघात पर लिखा था। 

दूसरे , बीच कोरोना में मैं ने अपने गृह जनपद गोरखपुर की एक अबोध बेटी के लीवर ट्रांसप्लांट के खर्च के लिए फेसबुक पर अपील की थी। सौभाग्य है कि तमाम परिचित और अपरिचित मित्रों ने उस कोरोना काल में दिल खोल कर पलक झपकते ही लाखो रुपए मदद में उस बेटी के पिता के अकाउंट में भेज दिया। बिना किसी सिफ़ारिश के उत्तर प्रदेश सरकार ने भी दिल्ली के अस्पताल में आपरेशन के लिए दस लाख रुपए जमा कर दिया। इस मदद के लिए हर किसी के प्रति कृतज्ञ हूं। और हां , वह बेटी कहीं से भी मेरे परिवार या रिश्तेदारी में से नहीं है। न पूर्व परिचित। अब वह परिवार ज़रुर हमारे संपर्क में है। लेकिन आप अपनी नीचता में किसी की मदद को भी भीख की तरह देख रही हैं , तो यह आप की अपनी कुत्सित मानसिकता है। बीमार व्यक्तित्व है। इसी लिए इस सार्वजनिक और मानवीय मदद को मोदी भक्ति से जोड़ने की जुगाली करती हैं। किसी भैंस की तरह पगुराती हुई। 

आप भूल गई हैं कि उम्र के इस मोड़ पर भी एक समय आप मुझे संदेश भेज कर कहती थीं कि , साहित्य जगत की कोई और चटपटी कथा सुनाइए। और यही आप हैं कि आज सती सावित्री बन कर राजेंद्र यादव के सच पर , वह सच जिसे वह खुद ही कई जगह लिख गए हैं पर आप विस्मित हो कर मेरे खिलाफ जहर उगल रही हैं। मुझ पर निजी हमले पर उतर आई हैं। मुझ पर निजी हमले कीजिए , शौक से कीजिए। स्वागत है। पर कुछ तो तथ्यात्मक भी लिखिए। जिसे आप बाद में चुनौती मिलने पर सिद्ध भी कर सकें। अपनी बुढ़भस में आप भूल गई हैं कि कुछ तथ्यात्मक और तार्किक सूचनाएं आप की भी इस सार्वजनिक जीवन में उपस्थित हैं। कहते ही हैं कि बात निकलेगी तो फिर दूर तलाक जाएगी। फिर वह एक शेर है न : 

मैं वो आशिक नहीं जो बैठ कर चुपके से ग़म खाए 

यहां तो जो सताए या आली बर्बाद हो जाए। 

ध्यान रखिएगा कि औरत होने के नाम पर विक्टिम कार्ड खेलने की जुर्रत मत कीजिएगा। दुकानदार हैं या लेखक जो भी हैं इसी बिना पर बराबरी से विमर्श कीजिए। अभी तो बिस्मिल्ला है। हरियाली और रास्ता फिल्म के लिए हसरत जयपुरी ने लिखा ही है : इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम सारी रात जागे / अल्लाह जाने क्या होगा आगे ! अस्सी चूहे खा कर बिल्ली हज को चले वाली कहावत को चरितार्थ करने पर अब आप ही गई हैं तो आइए , आप को हज यात्रा करवा ही देता हूं। यहां तो पारदर्शी जीवन जीता हूं। कुछ भी छुपाने के लिए नहीं है। न सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में कभी कुछ गलत किया है। न कोई समझौता किया है। जो किया है , अपने मन का किया है। मन का ही करता रहता हूं।  इसी लिए सीना तान कर लिखता हूं। कबीर कह ही गए हैं :  कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर। बहरहाल , अभी 2014 - 2016 के अपने कुछ संदेशों का जायजा लीजिए और दर्पण देखिए और मुझे भी दिखाइए। फिर आप चाहेंगी तो आप को हज यात्रा के अगले पड़ावों पर भी ले चलूंगा। साहित्य जगत की कोई और चटपटी कथा सुनाइए , के अंदाज़ में कथाएं सुनी-सुनाई जाएंगी। मूंगफली खाते-खिलाते हुए। 

ठीक ? क्यों कि पिक्चर तो अभी बाकी है। यह तो ट्रेलर है , सती सावित्री जी !


 

Happy Birthday.

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31/01/2014, 19:17

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जी, बहुत शुक्रिया !

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27/01/2015, 20:25

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यह किस लेखक का किस्सा आज बयां किया है ?

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नाम बताना पसंद करेंगी ?

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27/01/2015, 20:49

Manika

Manika Mohini

क्या बताना ठीक रहेगा? किसी और से भी पता चल सकता है।

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27/01/2015, 21:05

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मोहन राकेश या निर्मल वर्मा ?

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या कोई और ?

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बता देने में नुक्सान क्या है

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किसी और से कैसे पूछूं?

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बात तो आप ही ने उठाई है

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क्यों कि हिंदी में इतनी रायल्टी बिरले लेखकों को नसीब है

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Manika

Chalie bata deti hoon lekin yah kahna thheek nahin ki baat maine uthhaai hai. Kyonki maine bina naam ke uthhaai hai.

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Manika

Manika Mohini

Mohan Rakesh, jinki yah patni thi Anita Aulak yani Anita Rakesh.

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27/01/2015, 21:57

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जी

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चंद सतरें और पढ़ी है मैं ने

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अब वह अनीता औलक हैं शायद

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Manika

Manika Mohini

Ab pata nahin kya likhti hain, pahle Anita Aulak thi.

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जी

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चंद सतरें और मैं उन्हों ने मोहन राकेश पर अपने प्रेम और जीवन का बढ़िया संस्मरण लिखा है

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Manika

Manika Mohini

Jee

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इस में कुछ छपने लायक है भी नहीं , अब तो यह सब कुछ सब के सामने है

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मन्नू भंडारी का आप का बंटी मोहन राकेश का ही बेटा है

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Manika

Manika Mohini

Haan, main soch rahi thi ki sab samaajh hi jaenge. Par aapne Nirmal Verma ka naam kaise liya? Unki patni doosara vivaah kahan kiya?

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हाहा

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अब क्या कहूँ ?

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Manika

Manika Mohini

Kah deejiye. Mere se bhi to kahalwaya?

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हाहा

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कई किस्से हैं

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रायल्टी के झगड़े से लगायत यह और वह के

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Manika

Manika Mohini

Sunaaiye, time hai to.

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सब आप के सामने ही है

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Manika

Manika Mohini

Mujhe nahin pata, lekin royalty to patni ko hi milni chahie.

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Manika

Mohan Rakesh ka kissa purana tha, islie mujhe pata tha. Mujhe ab ke kisse nahin pata kyonki main kahin jati nahin, kisi se milti nahin.

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Manika

Oh

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Manika

Manika Mohini

Kya jinhone unki pustak chhapi? Shaayad Rajkamal?

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जी

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30/01/2015, 00:49

Manika

Manika Mohini

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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30/01/2015, 13:02

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बहुत शुक्रिया !

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23/07/2016, 18:29

Manika

Manika Mohini

दयानंद जी, यूँ ही आपके msg सामने पड़ गए। साहित्य जगत की कोई और चटपटी कथा सुनाइए।

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हा हा

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नमस्कार

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Manika

Manika Mohini

नमस्कार। नीलाभ आज स्वर्ग? सिधार गए। भूमिका बेचारी विधवा हो गई।

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जी

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किडनी दोनों ख़राब हो गयी थीं

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Manika

Manika Mohini

हाँ, कुछ दिन से बीमार चल रहे थे।

Seen by Manika Mohini

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जी

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