tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post7453373963246992840..comments2024-03-24T01:16:11.773-07:00Comments on सरोकारनामा: कमाल ख़ान ने मक्का में हज पर जा कर भी कभी नमाज नहीं पढ़ी थी Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-24937040124209657722022-01-14T11:36:36.120-08:002022-01-14T11:36:36.120-08:00हमारी दृष्टि में तो कमाल पत्रकारिता के प्रतिमान थे...हमारी दृष्टि में तो कमाल पत्रकारिता के प्रतिमान थे। उनकी यादों को समर्पित इतने अच्छे आलेख जा आभार। 'कर्म ही धर्म है' के सच्चे प्रतिपादक कमाल में आपने अकारण ही कबीर नहीं ढूँढा है!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-78460082732392608572022-01-14T09:38:50.833-08:002022-01-14T09:38:50.833-08:00किसी का पूजा-अर्चना करना न करना यह उसका अपना निजी ...किसी का पूजा-अर्चना करना न करना यह उसका अपना निजी मामला है। इसमें दो राय नहीं कि कमाल खान धर्म के प्रति नहीं तो कर्म के प्रति समर्पित और ईमानदार थे। अख़लाक़ अहमद ज़ईhttps://www.blogger.com/profile/02960556593117436182noreply@blogger.com