tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post6132895106932653111..comments2024-03-24T01:16:11.773-07:00Comments on सरोकारनामा: नवीन जोशी, दावानल और उन का संपादक Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-422928443253948542014-07-03T15:13:11.847-07:002014-07-03T15:13:11.847-07:00आप शायद ठीक कह रहे हैं। नवीन जोशी जी हिन्दुस्तान...आप शायद ठीक कह रहे हैं। नवीन जोशी जी हिन्दुस्तान, पटना में भी बतौर संपादक रहे हैं। लेकिन उन्हें उनके स्तंभ 'तमाशा मेरे आगे' के लिए ही स्मरण किया जाता है। जहां तक मेरी जानकारी व समझ है यहां के पत्रकारों की नयी पीढ़ी को तैयार करने में गिरीश मिश्र जी और देशपाल सिंह पंवार जी का योगदान अमूल्य है।अशोक पाण्डेयhttp://www.khetibaari.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-48247215549878998482014-07-03T15:09:21.942-07:002014-07-03T15:09:21.942-07:00आप शायद ठीक कह रहे हैं। नवीन जोशी जी हिन्दुस्तान...आप शायद ठीक कह रहे हैं। नवीन जोशी जी हिन्दुस्तान, पटना में भी बतौर संपादक रहे हैं। लेकिन उन्हें उनके स्तंभ 'तमाशा मेरे आगे' के लिए ही स्मरण किया जाता है। जहां तक मेरी जानकारी व समझ है यहां के पत्रकारों की नयी पीढ़ी को तैयार करने में गिरीश मिश्र जी और देशपाल सिंह पंवार जी योगदान अमूल्य है। अशोक पाण्डेयhttp://www.khetibaari.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-17427889394856463862014-07-03T02:54:03.840-07:002014-07-03T02:54:03.840-07:00parat dar parat khol diya aap ne !parat dar parat khol diya aap ne !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15795487310546303143noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-53786912104829585912014-07-03T02:24:55.770-07:002014-07-03T02:24:55.770-07:00अखबार
अपराधों के जिला बुलेटिन
हुए सभी अखबार
सत्यकथ...अखबार<br />अपराधों के जिला बुलेटिन<br />हुए सभी अखबार<br />सत्यकथाएँ पढ़ते-सुनते<br />देश हुआ बीमार।<br /><br />पत्रकार की कलमें अब<br />फौलादी कहाँ रहीं<br />अलख जगानेवाली आज <br />मुनादी कहाँ रही?<br />मात कर रहे टीवी चैनल<br />अब मछली बाजार।<br /><br />फिल्मों से,किरकिट से,<br />नेताओं से हैं आबाद<br />ताँगेवाले लिख लेते हैं <br />अब इनके संवाद<br />सच से क्या ये अंधे <br />कर पाएँगे आँखें चार?बुद्धिनाथमिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07106501366338307949noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-40510864315217650022014-07-02T10:28:29.932-07:002014-07-02T10:28:29.932-07:00आइना दिखा दिया आपने।आइना दिखा दिया आपने।जगदीश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/08107791926096635566noreply@blogger.com