tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post5560322305722296946..comments2024-03-24T01:16:11.773-07:00Comments on सरोकारनामा: प्रेम के शून्य को हेरते-हेरते सुलोचना की सुरसतिया का अचानक प्रेम में आर्यभट्ट हो जानाEditorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-41588211618852866322015-10-04T23:36:40.003-07:002015-10-04T23:36:40.003-07:00'कवि अब कविता नहीं लिखता/लिखता है प्रेम' ।...'कवि अब कविता नहीं लिखता/लिखता है प्रेम' ।<br />कवयित्री की इन पंक्तियों से आरंभ हुई यात्रा अंतिम कविता तक पहुँच कर एक लंबा सफर तय करती हुई एक सुखद अहसास कराती है।एक स्त्री के अंदर दबे हुए तमाम सवाल कविता के माध्यम से हमें झकझोरती है एवं तमाम प्रश्न उठाती हैं।क्या कहूँ अभी तक उन कविताओं की खुमारी दिमाग पर छाई हुई है।स्त्री मन की संवेदनाओं को वें जितनी खूबसुरती से बयां कर रहीं हैं वह Anand Guptahttps://www.blogger.com/profile/04091772362573040807noreply@blogger.com