tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post8706000198309952821..comments2024-03-24T01:16:11.773-07:00Comments on सरोकारनामा: ब्लैकमेलर सुधीर चौधरी, बेजमीर पुण्य प्रसून वाजपेयी Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-25884623401279401532012-11-28T07:47:35.934-08:002012-11-28T07:47:35.934-08:00super super sushildesigner88https://www.blogger.com/profile/18317905721466375480noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-3515585492831610092012-11-28T06:10:29.749-08:002012-11-28T06:10:29.749-08:00इन लोगो को सड़को पर लाकर जूते मारने चाहिए, चोर साल...इन लोगो को सड़को पर लाकर जूते मारने चाहिए, चोर साले !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-4637372208228803332012-11-27T22:27:42.582-08:002012-11-27T22:27:42.582-08:00आपने मीडिया की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।आपने मीडिया की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।डॉ. अश्विनीकुमार शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/14063239035701741836noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-17898499251716668732012-11-27T17:51:19.958-08:002012-11-27T17:51:19.958-08:00ये हाल हो गये मीडिया के! ये हाल हो गये मीडिया के! अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-1887995110040223192012-11-27T12:04:48.200-08:002012-11-27T12:04:48.200-08:00समूची पत्रकारिता को मालिकों की पिछाड़ी धोने में खर...समूची पत्रकारिता को मालिकों की पिछाड़ी धोने में खर्च करने वाले यह बेजमीर लोग पत्रकारिता की मा-बहन करते हुए देश की सेलीब्रेटी बनने की मुग्धता में सारे सामाजिक सरोकारों को तिलांजलि दे कर उसे राजनीति, कारपोरेट, क्रिकेट और सिनेमा में ध्वस्त करने में जी-जान से लगे पड़े हैं। यहीं उन की दुनिया शुरु होती है, और यहीं खत्म होती है। इन्हीं के आंगन में उन का सूरज उगता है, और इन्हीं के नाबदान में इन का सूरज सुधाकर अदीब https://www.blogger.com/profile/06717441364320808324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-13690346462608129242012-11-27T11:19:57.231-08:002012-11-27T11:19:57.231-08:00बन्धुवर, आपकी भावना से सहमत होने के बावजूद मैं इसे...बन्धुवर, आपकी भावना से सहमत होने के बावजूद मैं इसे सहज भाव से नहीं ले पा रहा। ठीक है कि आज अधिकतर मीडिया वाले भँड़ुआ बन गये हैं जिनके चलते पत्रकारिता का पेशा अब सम्मानजनक नहीं रह गया है कमाऊ हो गया सो अलग बात है। <br /><br />पर यह घटना पत्रकारिता पर सीधा हमला है और इसके लिए दिल्ली पुलिस को बधाई देना सही नहीं लगता। गिरफ्तारी का आधार सही हो सकता है पर नियत सही नहीं है। बाघ के मुँह आदमी का खून लग जाएAnjoriahttps://www.blogger.com/profile/00434295270661568338noreply@blogger.com