tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post1002896093731105199..comments2024-03-24T01:16:11.773-07:00Comments on सरोकारनामा: यह तुम्हारे नयन हैं , या नयनाभिराम कोई भवन Editorhttp://www.blogger.com/profile/06419299550917531876noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-91765646347819381372018-03-30T00:41:23.911-07:002018-03-30T00:41:23.911-07:00बहुत सुन्दर कविता .....बहुत सुन्दर कविता .....प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-13843505266178241852014-11-25T13:30:00.423-08:002014-11-25T13:30:00.423-08:00आँखों में घोंसला...एक अनोखी भावाव्यक्ति...आँखें भी...आँखों में घोंसला...एक अनोखी भावाव्यक्ति...आँखें भी कितना कुछ कह जाती हैं:<br />''अपनी इन भोली , मासूम<br />और बेचैन आंखों की तपन में<br />जलते आकाश के इस सूर्य को<br />थोड़ी छांह दो न <br />थोड़ा विश्राम दो ना ! <br />गौरैया की ही तरह<br />उड़ने और बसने दो<br />अपने इन निर्दोष नयनों में''<br />बहुत सुंदर! Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-58772569204549385592014-11-22T07:17:57.554-08:002014-11-22T07:17:57.554-08:00शायद भीतर-भीतर
बहुत कुछ घट रहा है
तुम्हारी आंखों क...शायद भीतर-भीतर<br />बहुत कुछ घट रहा है<br />तुम्हारी आंखों के पार<br />समंदर सा सवाल लिए<br />आकाश सा फैलाव लिए शुचिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/14205010910088802671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2753140813004207827.post-9547442844560491242014-11-18T04:58:30.894-08:002014-11-18T04:58:30.894-08:00अद्भुत भाव !गद्य के साथ इतना भावप्रवण कविता लेखन ...अद्भुत भाव !गद्य के साथ इतना भावप्रवण कविता लेखन ।आपने तो जिन भी आँखों के लिए लिखा हो अमर कर दिया उन्हें ! साधुवाद पण्डे जी !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07599612649164484855noreply@blogger.com